चलिए भगत सिंह की प्रेरणादायक कहानी को और विस्तार से जानते हैं।

भगत सिंह: आज़ादी के लिए बलिदान की मिसाल

भगत सिंह का जन्म 1907 में पंजाब के बंगा गाँव में हुआ था। उनके परिवार में स्वतंत्रता संग्राम की गहरी जड़ें थीं, जिससे बचपन से ही उनके मन में देशभक्ति की भावना विकसित हुई।

जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह को झकझोर दिया, और उन्होंने ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया। वे क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) से जुड़ गए और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष किया।

सांडर्स हत्याकांड:
ब्रिटिश अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या भगत सिंह और उनके साथियों ने 1928 में की थी, जो लाला लाजपत राय पर हुए अत्याचार का प्रतिशोध था। लाला जी की मृत्यु पुलिस की बर्बरता से हुई थी, जिससे भगत सिंह ने बदला लेने की ठान ली।

दिल्ली असेंबली में बम विस्फोट:
1929 में, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली असेंबली में बम फेंका। यह हमला जानबूझकर किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं था, बल्कि अंग्रेजों को यह दिखाने के लिए था कि भारतीय युवा अपनी आवाज़ बुलंद कर सकते हैं। उन्होंने मौके पर ही गिरफ्तारी दे दी और अपने विचारों को जनता तक पहुँचाया।

अंतिम बलिदान:
भगत सिंह को अंग्रेजों ने 23 मार्च 1931 को फाँसी दे दी। उनकी अंतिम क्षणों में कही गई बात "इंकलाब ज़िंदाबाद!" आज भी भारत के युवाओं को प्रेरित करती है।

उनकी सोच और बलिदान स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी ऊर्जा भरने का काम किया। भगत सिंह केवल एक नाम नहीं, बल्कि आज़ादी के लिए लड़ने की एक प्रतीकात्मक शक्ति बन गए।

क्या आप किसी और महान व्यक्ति की कहानी जानना चाहेंगे?

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